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Rajasthani khawateen | राजस्थानी कहावते मुहावरे । राजस्थानी दोहे

1.जांका पड़या सुभाव,क जासी जीव सूं। नीम न मीठा होय,सींचो गुड़ घीव सूं।।  केबत 2.नापे नौ गज फाड़े कोनी एक गज। बातुनी अर घणी बकबक करण वाळा वास्ते इण केबत में बडेरा ओ सन्देस देवे क केई आदमी रापां री लपालप तो घणी कर लेवै पण काम करण अर देवण लेवण ने उण कने कीं कोनी हु  3. घर रा पूत कुंवारा डोले पाड़ोस्यां का नौ नौ फेरा। इण केबत सूं बडेरा ओ सन्देस देवे क केई आदमी आपरा काम रै वास्ते लापरवाही बरते अर दूजां रा काम दौड़ दौड़ करे। दूजा रा टाबरां रा ब्याव वास्ते तो घणी दौड़ भाग करे अर घर रा पूत कुंवारा फिरे। 4. काचर रौ एक बीज सौ मण दूध फाड़े बडेरा रां री केबत है क एक कुटिल आदमी बड़ा सूं बड़ो काम भी बिगाड़ देवे,ज्यूं काचर रौ एक बीज सौ मण दूध फाड़ देवे 5: चंगा माडु घर रहया, तीनू ओगण होय। कपड़ा फाटे रिण बधै, नांव न जाणे कोई।। इण दूहा में बडेरा सीख देवे क स्वस्थ अर निरोगो आदमी निकमो हुय अर घरां बैठ जावे तो तीन अवगुण रौ दोष लागे। घरां बैठण सूं कपड़ा फाटे मतलब गरीबी आवै,बैठो खावे जणा करजो बधै अर घरां बैठा री जाण पिछाण कम हुवे अर उणां रौ कोई नांव ही कोनी जाणे। 6:जै धन दीखै जांवतो आधो लीजै बांट बडेरा हूशियार की...
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Why mother's day in india ?भारत का सांस्कृतिक पतन । indian youth

 भारत का मानसिक पाश्चात्य औपनिवेशिकता *कोई राष्ट्र तब तक पराजित नही होता जब तक वो अपनी संस्कृति और जीवनमुल्यो कि रक्षा कर पाता है* परंतु जो राष्ट्र अपनी संस्कृति पर गौरवाविंत भले होता हो यदि वो अपने जीवन मे उसे यथास्थान नही दे पाता हो क्या वो राष्ट्र विश्वगुरू बन पायेगा ?  हर कोई न कोई दिन कोई day होता है जिसको मनाने के पीछे कारण पता नही होता है पर हम मना लेते है । बात *mother's day* कि है यूरोपीय देशो मे परपंरा रही है कि मां अपने बच्चे को नही पालती है उनका लालन पालन तो कोनवेंट स्कूल मे होता है इसलिये साल मे एक दिन वो *mothers day* मनाते है *fathers day* जिस दिन बेटा पिता के साथ बैठकर खाना खाता है जबकी यहां कि संस्कृति मे तो पिता अपने हाथो से खाना खिलाता है । पहली बात तो आपने mother's day father's day अलग अलग करके मां बाप को ही बांट दिया । पूरे विश्व मे यही एक मात्र देश होगा यही एक मात्र संस्कृति होगी जहां माता पिता को भगवान से बढ़कर माना जाता हो जहां कहा जाता हो *जननी जन्मभूमी स्वर्गोदपि गरियसी* अन्यथा दुनिया तो  हुरो, हैवन को ही जीवन का परम लक्ष्य मानती है । जो राष्ट्र...

राजपूत और भविष्य ।। वर्तमान राजपूत पिढ़ी

 एक विख्यात ब्रिगेडियर साहब हुआ करते थे I उस  जमाने मे उनका अलग ही रूतबा था ! पिताजी ठिकानेदार  रहे थे ! प्रतिष्ठित  मेयो  कॉलेज से शिक्षित थे I  जयपुर मे बाकायदा  एक कॉलोनी का  नाम उनके नाम पर रखा गया है  I  एकमात्र पुत्र भी आर्मी मे कर्नल रहे I बहुत वर्ष पहले मेरा कर्नल साहब के घर जाना हुआ था I  साहब को अपने राजपूत होने का गर्व तो था लेकिन सामाज़िक संपर्क शुन्य था I  गांव मे गए जमाने हो गए, रक्त संबधी  काका-ताऊओं के परिवारो से कोई संपर्क नही I  ब्रिगेडियर साहब का अंतिम संस्कार भी जयपुर मे ही किया गया I   कुछ माह पहले कर्नल साहब के एक मात्र पुत्र से संयोगवश मुलाकात हो गई I  उन्होने बताया की कर्नल साहब का  देहांत हो चुका है  I  साहब के पुत्र भी विख्यात सेंट जेवियर स्कूल के विद्यार्थी रहे हैं I  बड़े सारे भव्य घर के बाहर ठिकाने का नाम तो लिखा है लेकिन अब ठिकाने से कोई सरोकार बाकी नही रह गया I बन्ना साहब ने कभी अपना गांव/ठिकाना  देखा तक नही I   कोटड़ी, कुटुम्ब, काका, ताऊ जै...

article on humanity | मनुष्य और मनुष्यता | what is humanity

यह संसार का नियम है कि जिस वस्तु या गुण कि दुर्लभता हो या  धीरे-धीरे दूर्लभ हो रही हो उसकी चर्चा सबसे अधिक होती है। आज इस दौर में मनुष्य और मनुष्यता की परिभाषा गढ़ी जा रही है ये सत्य नहीं है कि मनुष्य है तो मनुष्यता है मेरे मत से मनुष्यता है तो मनुष्य है अथवा दोनों एक दूसरे के संपूरक है इस दौर में भले ही मनुष्यता की परिधि संकुचित होती जा रही है परंतु मनुष्य इसके भावो कि और अधिक आकर्षित होता है । जब भी कह दिया जाता है मनुष्यता ही सबसे बड़ा धर्म  है तो ये बात निसंकोच ह्यदय  स्वीकार कर लेता है विभिन्न भाषाओं ने विभिन्न शब्द दिये है । कोई इंसान कोई  ह्यूमन तो विज्ञान ने होमो सैपियंस । हालांकि होमो सैंपियंश से ही ह्यूमन आया है । यहां इंसान से इंसानियत, ह्यूमन से ह्यूमनिटी है परंतु मेरा मानना है कि किसी भी क्षेत्र या सभ्यता कि भाषा, उसके शब्द और उनके अर्थ वहां के मूल्यो से बने होते है और इस देश (भारत) कि संस्कृति तो विश्व मे अद्धितीय रही है  और इसीलिए दुनियां कि किसी भी भाषा कि तुलना उसका अनुवाद भारत कि किसी भी भाषा से नही किया जा सकता है । सबसे बड़ी गलती य...

Mushafir poetry

  मेरी अनूभुति √ बाहर से पुछा मैने, की मै कौन हुँ ? जवाब अन्दर से आया -मुसाफिर तो बता के मेरी- मंजिल क्या है ? जवाब फौरन आता है - मौत जवाब सुन दंग मै रह गया पुछने को फिर मजबुर हो गया जरा बता हमे - रास्ता क्या है ? जवाब आया - जिंदगी  इस जवाब ने मेरा एक सवाल कम कर दिया मै मुसाफिर,मजिंल है मौत,रास्ता है जिन्दगी तो चलना तो है,मगर रास्ता कैसा है जवाब इतना जल्दी था के मानो मेरा अन्दर सब जानता था  अन्दर कोई कशमकश न थी जवाब था आसान इससे पहले जहन मे उलझन न थी जो देखा ,जो सुना जो महसुस किया वो तो बिलकुल उलट था दुनिया की किताब मे जिन्दगी आसान न थी जिन्दगी मुश्किल तो रास्ता बेशक सही नही चल रहे है जिस राह पर  मंजिल  कही नही बाते सुन के सवाल समझ गया मन जवाब आया रास्ता सही नही सिल सिला यही न रूका , पुछा मैने के-दुनिया जिस राह पर जवाब वही था वो रास्ता भी सही नही अब मेरा बाहर भी जवाब दे रहा था अन्दर बाहर मे कोई मतभेद न थे चलेगे कैसे राह पर ,जिएगे कैसे दिलो दिमाग अब कोई भेद न थे Writer ~Kunwar Pushpendra singh (surera)

Khawab है तो रूक जरा । poetry on duniya

ख्वाब है तो रूक जरा बता न इस दुनियां को ये राह भी बताती है  गर मंजिल न मिले, तो तुझको कोसती ।। कदम कदम पे रोकती हर बार तुझसे पुछती  न जवाब दे, बस सवाल सुन भुल जा तेरे बारे में ये क्या सोचती ।। देख के तेरे जख्म को भरा भरा फिर जुबां से कुरेदती  ध्यान रख न ध्यान दे ये जज्बातो से खेलती ।। बस थोड़ा धैर्य रख  एक क्षण भी डिग़ मत जो आज जिसको गिराती है वो कल उसको सलाम ठोकती । रचयिता ~ कुं. पुष्पेन्द्र सिंह 

Best sher of pushpendra singh

Best Sher of Kunwar Pushpendra singh  1. मेरे अश्को से न पुछो मेरी तनहाई  आंखो में उतरो तो पता चले, दरिया ए दिल होता क्या है ! कुं. पुष्पेंद्र सिंह  Mere ashqo se n pucho meri gahrai dil me utro to pta chale dariya e dil hota kya h ~kunwar pushpendra singh 2. कहना बहुत कुछ था आपसे, आँखो ने सब बता दिया इजहार क्या करते आपसे ,अश्को ने सब जता दिया ~ कुं पुष्पेंद्र सिंह  Kahna bhot kch tha aapse Aankhon ne sab bta diya  Ijhar kya krte aapse ashqo ne sab jata diya ~kunwar Pushpendra singh 3. बेगुनाह हो ,लाओ सबुत दो जिंदा हो ,चुप न रहो वजुद दो ~कुं पुष्पेंद्र सिंह (सुरेरा) Begunah ho laao saboot do Jinda ho ,chup n raho vajood do ~kunwar pushpendra singh 4. कौन कहता है की, हम रोते नही  कभी दिल से गले लगाकर तो देखो  घड़कनो के साथ दर्द छलकता है ~कुं पुष्पेंद्र सिंह Kon kahta h ki hum rote nhi Kabhi dil se gale lagake to dekho dhadkanon ke sath dard bhi chhalakta h ~kumwar Pushpendra singh 5. सफर तो यूं हो किअचानक आओ तो हो हैरानी  और जाओ तो बैचैनी ~कुं पुष्प...