1.जांका पड़या सुभाव,क जासी जीव सूं। नीम न मीठा होय,सींचो गुड़ घीव सूं।। केबत 2.नापे नौ गज फाड़े कोनी एक गज। बातुनी अर घणी बकबक करण वाळा वास्ते इण केबत में बडेरा ओ सन्देस देवे क केई आदमी रापां री लपालप तो घणी कर लेवै पण काम करण अर देवण लेवण ने उण कने कीं कोनी हु 3. घर रा पूत कुंवारा डोले पाड़ोस्यां का नौ नौ फेरा। इण केबत सूं बडेरा ओ सन्देस देवे क केई आदमी आपरा काम रै वास्ते लापरवाही बरते अर दूजां रा काम दौड़ दौड़ करे। दूजा रा टाबरां रा ब्याव वास्ते तो घणी दौड़ भाग करे अर घर रा पूत कुंवारा फिरे। 4. काचर रौ एक बीज सौ मण दूध फाड़े बडेरा रां री केबत है क एक कुटिल आदमी बड़ा सूं बड़ो काम भी बिगाड़ देवे,ज्यूं काचर रौ एक बीज सौ मण दूध फाड़ देवे 5: चंगा माडु घर रहया, तीनू ओगण होय। कपड़ा फाटे रिण बधै, नांव न जाणे कोई।। इण दूहा में बडेरा सीख देवे क स्वस्थ अर निरोगो आदमी निकमो हुय अर घरां बैठ जावे तो तीन अवगुण रौ दोष लागे। घरां बैठण सूं कपड़ा फाटे मतलब गरीबी आवै,बैठो खावे जणा करजो बधै अर घरां बैठा री जाण पिछाण कम हुवे अर उणां रौ कोई नांव ही कोनी जाणे। 6:जै धन दीखै जांवतो आधो लीजै बांट बडेरा हूशियार की...
भारत का मानसिक पाश्चात्य औपनिवेशिकता *कोई राष्ट्र तब तक पराजित नही होता जब तक वो अपनी संस्कृति और जीवनमुल्यो कि रक्षा कर पाता है* परंतु जो राष्ट्र अपनी संस्कृति पर गौरवाविंत भले होता हो यदि वो अपने जीवन मे उसे यथास्थान नही दे पाता हो क्या वो राष्ट्र विश्वगुरू बन पायेगा ? हर कोई न कोई दिन कोई day होता है जिसको मनाने के पीछे कारण पता नही होता है पर हम मना लेते है । बात *mother's day* कि है यूरोपीय देशो मे परपंरा रही है कि मां अपने बच्चे को नही पालती है उनका लालन पालन तो कोनवेंट स्कूल मे होता है इसलिये साल मे एक दिन वो *mothers day* मनाते है *fathers day* जिस दिन बेटा पिता के साथ बैठकर खाना खाता है जबकी यहां कि संस्कृति मे तो पिता अपने हाथो से खाना खिलाता है । पहली बात तो आपने mother's day father's day अलग अलग करके मां बाप को ही बांट दिया । पूरे विश्व मे यही एक मात्र देश होगा यही एक मात्र संस्कृति होगी जहां माता पिता को भगवान से बढ़कर माना जाता हो जहां कहा जाता हो *जननी जन्मभूमी स्वर्गोदपि गरियसी* अन्यथा दुनिया तो हुरो, हैवन को ही जीवन का परम लक्ष्य मानती है । जो राष्ट्र...