एक विख्यात ब्रिगेडियर साहब हुआ करते थे I उस जमाने मे उनका अलग ही रूतबा था ! पिताजी ठिकानेदार रहे थे ! प्रतिष्ठित मेयो कॉलेज से शिक्षित थे I जयपुर मे बाकायदा एक कॉलोनी का नाम उनके नाम पर रखा गया है I एकमात्र पुत्र भी आर्मी मे कर्नल रहे I बहुत वर्ष पहले मेरा कर्नल साहब के घर जाना हुआ था I साहब को अपने राजपूत होने का गर्व तो था लेकिन सामाज़िक संपर्क शुन्य था I गांव मे गए जमाने हो गए, रक्त संबधी काका-ताऊओं के परिवारो से कोई संपर्क नही I ब्रिगेडियर साहब का अंतिम संस्कार भी जयपुर मे ही किया गया I
कुछ माह पहले कर्नल साहब के एक मात्र पुत्र से संयोगवश मुलाकात हो गई I उन्होने बताया की कर्नल साहब का देहांत हो चुका है I साहब के पुत्र भी विख्यात सेंट जेवियर स्कूल के विद्यार्थी रहे हैं I बड़े सारे भव्य घर के बाहर ठिकाने का नाम तो लिखा है लेकिन अब ठिकाने से कोई सरोकार बाकी नही रह गया I बन्ना साहब ने कभी अपना गांव/ठिकाना देखा तक नही I कोटड़ी, कुटुम्ब, काका, ताऊ जैसे शब्दो से बन्ना साहब को कोई लगाव नही है I जब कभी मिले ही नही तो लगाव कैसे पैदा होता I बन्ना साहब एक बड़ी एमएनसी मे बड़े अधिकारी हैं ओर लव मेरीज की है I
जयपुर शहर के पॉश इलाको मे ऐसे सेकडो बन्ना साहब रहते हैं ज़िनके पिताजी, दादाजी बड़े अधिकारी रहे I अधिकांश बन्ना साहब भी बेहतरीन स्कूलो से पास आउट ओर उच्च बौधिक क्षमता से परिपुर्ण हैं I सभी के बंगलो के बाहर अंग्रेजी मे उनके ठिकानो का करीने से नाम लिखा मिलेगा, लेकिन... बन्ना साहबो ने कभी ठिकाने देखे नही, बन्ना साहबो के दिलो मे राजपूत होने का गर्व थोड़ा थोड़ा शेष है परंतु राजपूतो मे उठना बेठना ना के बराबर है I एलिट क्लास के बनियो के साथ पढते, उठते बैठते बन्ना साहबो की सोच वर्णसंकर हो गई I राजपूत रहे नही, बनिये बन नही पाये I इनको राजपूत जाति के मान सम्मान से कोई सरोकार नही रहता I इन्हे प्रदेश या शहर की राजनीती मे किसी प्रकार की दिलचस्पी नही I अपने भव्य घरो ओर फार्म हाउसेस मे विलासिता पूर्ण जीवन जीते हुये ये एलिट वर्ग के राजपूत जात-पात को अनपढ़ ओर लूजर्स लोगो की बीमारी मात्र समझते हैं I इस एलिट वर्ग मे कुछ पुर्व एडमिरल, लेफ्टीनेट ज़नरल रेंक के ऐसे अधिकारी भी हैं ज़िन्होने हर प्रकार से सक्षम होते हुये भी अपने ठिकानो मे पूर्वजो के बनायें "गढो" तक को बेच ड़ाला क्युकी इनके ह्रदय मे राजपूती गौरव ओर लगाव शेष नही रहा I
आदरणीय आयुवान सिंह जी हमें बता कर गए थे की राजपूतो का उच्च वर्ग धीरे धीरे शेष राजपूतो से विच्छेद होता चला जायेगा, अंत मे वर्ण-संकर होकर ये राजपूत जाति से पूरी तरह अलग हो जायेगा I
आर्मी अफसर अपने बच्चों को उच्च गुणवता वाली शिक्षा देते हैं I आजकल अधिकांश राजपूत आर्मी अधिकारियों के बच्चे एमएनसी मे जाना पसंद करते हैं I लेकिन आप यदि सर्वे करेंगे तो पायेंगे की जाट आर्मी अफसर अपने बेटे को प्रशासनिक अधिकारी बनाने का प्रयास करते हैं I हमारे पास पुर्व अधिकारियों की पूरी फौज मोजूद है I ये हमारा ऐसा वर्ग है जो हर प्रकार से सक्षम है I अगर समाज के मोजीज संगठन ऐसे वर्तमान ओर पुर्व आर्मी अफसरो से संपर्क बैठाये, इनमे जातिये भाव जाग्रत करे तो हमें बड़ा लाभ हो सकता है I
ये वर्ग अगर अपने बच्चों को बजाय प्राईवेट सेक्टर मे भेजने के प्रशासनिक नौकरियों की तैयारी कराये तो राजपूत जाति को हर RAS भर्ती मे अच्छे अफसर मिल सकते हैं I यह वर्ग अगर क्षेत्र की राजनीती मे सक्रिय हो जाये तो विधायक ओर पार्षद चुनावों मे समाज को बड़ा लाभ मिले I
राजपूतो की प्रतिद्वंदी जाति के पास ऐसा एलिट वर्ग अभी तक विकसित ही नही हो पाया है I प्रतिद्वंदी कौम के सभी पुर्व अफसर तन मन से अपने समाज के लिए समर्पित हैं I
राजपूतों के ये बड़े बड़े पुर्व अधिकारी आज हमारे बड़े काम आ सकते हैं I क्षत्रिय युवक संघ ऐसे पुर्व अधिकारियों से संपर्क बैठा कर अपनी ताकत मे भी इजाफा कर सकता है ओर इस सक्षम शिक्षित वर्ग को राजपूत जाति से पृथक होने से बचा सकता है....
--------------लेखक---अज्ञात------------
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