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Rajasthani khawateen | राजस्थानी कहावते मुहावरे । राजस्थानी दोहे

1.जांका पड़या सुभाव,क जासी जीव सूं।

नीम न मीठा होय,सींचो गुड़ घीव सूं।।


 केबत

2.नापे नौ गज फाड़े कोनी एक गज।

बातुनी अर घणी बकबक करण वाळा वास्ते इण केबत में बडेरा ओ सन्देस देवे क केई आदमी रापां री लपालप तो घणी कर लेवै पण काम करण अर देवण लेवण ने उण कने कीं कोनी हु

 3. घर रा पूत कुंवारा डोले पाड़ोस्यां का नौ नौ फेरा।


इण केबत सूं बडेरा ओ सन्देस देवे क केई आदमी आपरा काम रै वास्ते लापरवाही बरते अर दूजां रा काम दौड़ दौड़ करे। दूजा रा टाबरां रा ब्याव वास्ते तो घणी दौड़ भाग करे अर घर रा पूत कुंवारा फिरे।


4. काचर रौ एक बीज सौ मण दूध फाड़े

बडेरा रां री केबत है क एक कुटिल आदमी बड़ा सूं बड़ो काम भी बिगाड़ देवे,ज्यूं काचर रौ एक बीज सौ मण दूध फाड़ देवे

5: चंगा माडु घर रहया, तीनू ओगण होय।

कपड़ा फाटे रिण बधै, नांव न जाणे कोई।।

इण दूहा में बडेरा सीख देवे क स्वस्थ अर निरोगो आदमी निकमो हुय अर घरां बैठ जावे तो तीन अवगुण रौ दोष लागे। घरां बैठण सूं कपड़ा फाटे मतलब गरीबी आवै,बैठो खावे जणा करजो बधै अर घरां बैठा री जाण पिछाण कम हुवे अर उणां रौ कोई नांव ही कोनी जाणे।

6:जै धन दीखै जांवतो आधो लीजै बांट


बडेरा हूशियार की वास्तै आ कैबत गढी है क जै धन हाथ् सूं जावंतो दिखै तो आधो बांट लिजै। सगळो नहीं तो कम सूं कम आधो तो हाथ आवै।

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