रामनवमी कि सभी सनातन प्रेमीयो को हार्दिक शुभकामनाएँ... राम किसी के लिए सियासत किसी के लिए काल्पनिक किसी के लिए भगवान है...सत्य तो यह है कि राम इन सबसे कंही बढकर पुरूषार्थ कि सर्वोच्च शिखर है अर्थात राम जैसा न कोई हुआ है न कोई होगा ! राम मुरत नही सीरत है राम भगवान न सही भावनाएँ है ,इसलिए तो हमारे यंहा कोई बेईमानी करने पर कहा जाता है न "इसका तो राम ही निकल गया है" । बहोत फर्क है आपकि और हमारी संस्कृति में, हमारे यंहा तो पिता कि आज्ञा मानकर राज त्यागने वाला राम महान है जबकि कंही पिता का गला रेतकर राजकरने वाले बादशाह महान है। हमारे यंहा तो एक पितल कि राम कि मूरत के लिए स्वर्ण भंडार का त्याग करने वाले पुज्य संत रविदास म्हान है जबकि कंही राजपाठ के लिए धर्मस्थलो को तोडने वाले, कंई लोगो के जीवन मुल्य नष्ठ करने वाले आतंकवादी बादशाह महान् है । हमारे यंहा तो वसुदैव कुटुबंकम, सर्व धर्म समभाव सर्व भवन्तु सुखिन कि भावना संविधान से नही सनातन धर्म से ही है। हमारे तो जीव हत्या पाप है जबकी कंही बेजुबान जीव को हलाल करना धार्मिक अधिकार है।
हालांकि यह भी सच है कि हम भी गलत राह पर है पर हमने उस गलत राह को धर्म नही बताया सनातन अर्थात सत्य ,हमे सत्य के अनुसार चलना होता है हमारे अनुसार सत्य नही । धर्म नही सिखाता आपस मे बेर करना कितना सच है कितना झूंठ आप स्वयं आंकलन करे । बस इतना ही कहूंगा बेर तब होता जब कोई अपनी आस्था को थोपना चाहे अथवा उसे बढा़ना चाहे तो विवाद होता है और सनातन संस्कृति मे धर्म परिवर्तन का कोन सेप्ट ही नही है ।
राम मंदिर जरूरी है भारतीय संस्कृति के लिए ,लोगो को ये बताने के लिए कि सच कि जीत होती है चाहे 500 वर्ष क्यु न लग जाये । राम मंदिर हिंदुओ कि नही सनातन की इस देश कि जीत है ।
लेखक - कुँ . पुष्पेंद्र सिंह सुरेरा
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